गुरुवार, 9 जून 2011

बेवफा सनम

कुछ  तो  सोचती  मुझे  भुलाने  से  पहले, 
मेरे ख़त  मेरी  तस्वीरें  जलाने  से  पहले !
तेरे  हाथ  क्यूँ  नहीं  काँपे,
किसी  और  की  मेहँदी  लगाने  से  पहले !
तेरी  आँख  भी  न  बरसी  सनम,
मेरा  प्यार, दिल  से  मिटने  से  पहले !
कुछ  वादे  कुछ  कसमें  खायी  थीं  तुम  ने,
ग़ैरों  की  सेज  सजाने  से  पहले!
‘काशिफ’ मेरी  ज़िन्दगी  
में  कोई  ग़म  न  था,
उस  बेवफा  शख्स  के  आने  से  पहले !

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