पल -2 मैं सोचता हूँ
किसको सुनाऊ दास्तान अपनी
किसको सुनाऊ राजगार अपनी
कैसे उसने धोका दिया
कैसे उसने छोड़ दिया
वादा किया साथ निभाने का था
कैसे उसने वो तोड़ दिया
ना भूल पाया उसकी बेवफाई को
तो कैसे भूलूंगा उसका प्यार
कर दिए तुकरे दिल के उसने
कैसे समेंटू इनको यार
किसको सुनाऊ दास्तान अपनी
किसको सुनाऊ राजगार अपनी
कौन सुनेगा कोन रुकेगा
सुनने को मेरी कहानी
शुरू करता हूँ सुनाना तो
आंख पहले भर आती है
दिल के टूटे टुकड़ों में जब
तस्वीर उसकी दिख जाती है
दर्द की लहर दोड़ जाती है
खुली किताब है मेरी कहानी
जैसे समुंदर में बहता पानी
कहाँ जाऊ किसको सुनाऊ दास्तान अपनी
ये दुखभरी कहानी !!!!!!
बढ़िया प्रयास है...
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिखा है और लिखते रहिए
जवाब देंहटाएंumda khyalat ke saath marmik rachna ke liye aapko badhai
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