मंगलवार, 9 अगस्त 2011

मैं मुसाफिर आया जहान में


मैं मुसाफिर आया  जहान  में
काम था पहला उसको निभाने 

माँ - बाप का कुछ क़र्ज़ था पहला 
दोस्तों का था हंसता चेहरा 
बहन की राखी का प्यार 
बड़े भाई का वो दुलार 
छोटे का दिल बहलाना 
दोस्तों के संग गप्पे लडाना   
मिन्नत की है भगवान् से मैंने 
माँगा है वक़्त कुछ पल सयाना 
निभाना है कर्ज पुराना 
मैं मुसाफिर आया जहान में 
काम था पहला उसको निभाने 

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