मैं मुसाफिर आया जहान में
काम था पहला उसको निभाने
माँ - बाप का कुछ क़र्ज़ था पहला
दोस्तों का था हंसता चेहरा
बहन की राखी का प्यार
बड़े भाई का वो दुलार
छोटे का दिल बहलाना
दोस्तों के संग गप्पे लडाना
मिन्नत की है भगवान् से मैंने
माँगा है वक़्त कुछ पल सयाना
निभाना है कर्ज पुराना
मैं मुसाफिर आया जहान में
काम था पहला उसको निभाने
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